हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Monday, February 28, 2011

सारे जहां से अच्छा...हमारा स्मारक!!

विकास के इस दौर मैं जहाँ पूरी दुनिया आगे बढ रही है, तो हमारी-आपकी भूमि-- स्मारक पीछे क्यों रहे? स्मारक भले ही अपने निर्माण की "हाफ सेनचुरी" पूरी करने वाला हो, पर यहाँ नवीनीकरण की पूरी गुंजाईश है| मुख्य प्रवचन हॉल के बाद, बाबू भाई हॉल का नवीनीकरण हुआ और अब बारी है उसकी जिसकी शायद आपने कल्पना भी नहीं की होगी या सोचा होगा की यहाँ तो जो होना था हो चुका| पर आपके भ्रम को तोड़ते हुए बताने जा रहा हूँ, दिल थाम के बैठिये|

स्मारक मे स्थित भव्य त्रिमूर्ति मंदिर, सीमंधर जिनालय एवं फ्रंट elevation पूरा नवीनीकृत होने जा रहा है| जिसमे सीमंधर जिनालय का extension भी शामिल है| यह पढकर आपके दिल मे धुकुर-पुकुर ज़रूर हो रही होगी| चिंता मत कीजिये, ब्लॉग टीम पूरी कोशिश करेगी की इन तीनो का proposed प्लान आपके समक्ष प्रस्तुत करे| तब तक के लिए थोड़ी कल्पना कीजिये....आखिर कैसा लगेगा हमारा-अपना स्मारक?????? जाते जाते सुनते जाइये की इसका शिलान्यास 2nd मार्च को है...

विदाई समारोह 2011

प. टोडरमल स्मारक भवन में शास्त्री तृतीय वर्ष के छात्रों का विदाई एवं दीक्षांत समारोह दिनांक 1st march'11 को शास्त्री द्वितीय वर्ष के छात्रों द्वारा स्मारक के नव-निर्मित हॉल में रखा गया हैं. इस दिन सुबह से ही स्मारक में कार्यक्रमों की बेला शुरू हो जाएगी.

प्रात: 7 बजे पूजन, 8:15 बजे नाश्ता, 8:45 बजे आ. बड़े दादाजी का मार्मिक प्रवचन और फिर ठीक १ बजे दोपहर में "भेलपुरी" के शानदार नाश्ते के बाद विदाई समारोह का भव्य उद्घाटन होगा, यह पहला सत्र ५:०० बजे तक चलेगा. रात्रि का सत्र ठीक ८:०० बजे से १०:०० बजे तक चलेगा.

समारोह में शास्त्री तृतीय वर्ष के छात्र स्मारक में अपने ५ साल के अनुभव बताएँगे साथ ही, समारोह में उपस्थित रहेंगे-आ. बड़े दादा, छोटे दादा, अन्ना जी, छाबरा जी, शांति जी, शुद्धात्म प्रकाश जी, संजीव जी गोधा, पीयूष जी, संजय जी एवं कॉलेज के गुरुओ को भी आमंत्रित किया गया हैं. विद्यार्थियों को अपने गुरुजनों के उद्भोदन सुनने की तीव्र उत्सुकता रहेगी. साथ ही इसी कार्यक्रम में उन्हें सिद्धांत शास्त्री की डिग्री भी दी जाएगी.

संभव हुआ तो ब्लॉग टीम आपको स्मारक के इसी ब्लॉग पर विदाई समारोह की कुछ झलकिया दिखायेगी. समारोह को लाइव देखे ustream पर. www.ustream.tv/channel/ptst

शास्त्री द्वितीय वर्ष को इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बेस्ट ऑफ़ लक!!!

Sunday, February 27, 2011

आमंत्रण

You are cordially invited on 2.3.11 at 7.00 am to lay the foundation for the renovation work of TRIMURTI & SIMANDHAR JINAYALAY followed by pravchan of Dr. Hukamchand bharill at Todarmal Smarak Bhavan. Please Grace the occasion with your esteemed presence. 
Regards Piyush Jain 

Monday, February 14, 2011

बेहतर है....

जिस तट पर प्यास बुझाने से , अपमान प्यास का होता हो ॥
उस तट पर प्यास बुझाने से , प्यासा मर जाना बेहतर है॥

जब आंधी नाव डूबा देने को
अपनी जिद पे अड़ जाये ,
हर एक लहर नागिन बन के
डसने को फन फैलाये ।

ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं,
पागल तुफानो को बढकर आवाज़ लगाना बेहतर है ॥

कांटे तो अपनी आदत के
अनुसार, नुकीले होते है
कुछ फूल मगर कांटो से भी,
जादा जहरीले होते है ॥

जिसको माली आँखे मीचे मधु के बदले विष से सींचे ॥
ऐसी डाली पे खिलने से पहले मुरझना बेहतर है ॥

जो दिया उजाला दे न सके
तम के चरणों का दास रहे
अंधियारी रातो में सोये
दिन में सूरज के पास रहे ।

जो केवल धुंआ उगलता हो, सूरज पे कालिख मलता हो ॥
ऐसे दीपक का जलने से पहले , बुझ जाना बेहतर है ॥

Thursday, February 3, 2011

गौर कीजियेगा...बात तजुर्बे की!!!

मेरी ज़िन्दगी के कडवे मिज़ाज,हमसफर की बेरुखी और दूनियादारी की कम समझ होने के साथ ज़ज्बाती होने की जो सज़ा मुकर्रर की गई है उसी का फलसफा यहाँ हिस्सों मे पेश कर रहा हूँ यह मेरी शाश्वत भटकन का प्रतीक है और अपने जैसे किसी की तलाश का परिणाम भी...। इसे मेरे द्वारा किसी व्यक्ति विशेष का चरित्र चित्रण अथवा व्यक्तिगत अनुभव का सारांश न समझा जाए बल्कि इसका अर्थ अधिक व्यापक एवं सम्रग है...मै ऐसा समझता हूँ....।

अथ कथारम्भे:

  1. दूनिया मे अपने जैसा कोई और भी होगा ऐसा सोचना सबसे बडी मूर्खता है लोग अपने जैसे प्रतीत होतें है लेकिन होता कोई नही।
  2. ऐसे आदमी से सदैव सावधान रहना चाहिए जिसके पास खोने के लिए कुछ भी न हो।
  3. किसी के लिए अपने सपनों के साथ समझौता किसी हालत मे नही करना चाहिए वरना ज़िन्दगी भर एक कसक बनी रहती है।
  4. विश्वास मत करो संदेह करो डेकार्ते यह दर्शन ज्यादा प्रेक्टिकल है जिसे अक्सर भावुक लोग नकार देते है।
  5. अपने अतिरिक्त किसी से भी वफा की उम्मीद करना बेमानी है, सबकी अपनी-अपनी मजबूरी होती हैं।
  6. कच्ची भावुकता और परिपक्व संवेदनशीलता मे फर्क करना जितनी जल्दी सीख सको सीख लेना चाहिए वरना आप अक्सर रोते हुए पाए जाते हैं और हालात आप पर हँसते है।
  7. मित्रता के साथ कभी सामूहिक व्यवसायिक प्रयास की सोचना भी मूर्खता है अंत मे न दोस्ती नसीब होती है और न ही कुछ व्यवसायिक काम सिद्द होता है।
  8. अक्सर लोग आपका ज्ञान आपसे सीखकर आपके सामने ही बडी ही बेशर्मी के साथ बघार सकने की हिम्मत रखते है सो इसके लिए मानसिक रुप से तैयार रहना चाहिए।
  9. आप किसी के लिए सीढी बन सकतें लेकिन मंजिल कभी नही अक्सर लोग एक पायदान का सहारा लेकर उपर चढ जाते हैं और आप जडतापूर्वक यथास्थान खडे हुए रह जातें है।
  10. रंज,मलाल,अपेक्षा और अधिकारबोध ऐसे भारी भरकम शब्दों को समझने की मैंटल फैकल्टी लोगो के पास होती ही नही है।
  11. रिश्तों मे अपनी जवाबदेही अक्सर कम ही लोग समझ पातें है दोषारोपण बेहद आसान है लेकिन किसी की कमजोरियों के साथ उसका साथ निभाना बहुत मुश्किल काम है।
  12. सफलता सम्बन्धों का फेवीकोल है असफल लोग अक्सर एक साथ नही रह पातें है।
  13. अतीत व्यसन से बडा कोई दूसरा व्यसन दूनिया मे हो ही नही सकता यह आपको रोजाना जिन्दा करता है और रोजाना मारता हैं।
  14. दूनिया की सबसे बडी सच्चाई यही है कि आदमी इस भरी दूनिया में नितांत ही अकेला है,सम्बन्धो का हरा-भरा संसार एक शाश्वत भ्रम है।
  15. ....अभी बस इतना ही और भी बहुत सी बातें है लेकिन अगर मै सभी को लिखुंगा तो आपको लगेगा कि महान लोगों की उक्तियाँ टीप रहा हूँ।यह मेरा तज़रबा है अगर आप इससे कुछ सबक ले सकें तो मुझे खुशी होगी लेकिन यह सच है कि मैं आज तक नही ले पाया हूँ।.........अंश