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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ लुटाने वालों...
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है...
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी,
जैसे रात उतार चांदनी...
पहने सुबह धूप की धोती....
वस्त्र बदलकर आने वालों, चाल बदलकर जाने वालों,
चंद खिलौनों के खोने से...बचपन नहीं मरा करता है...
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