....सम्भवतः हिंदी के सबसे चमत्कारिक...झकझोर देने वाले कवियों में से एक-धूमिल....ये कविता उनकी आखिरी कविता मानी जाती है....
"शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना कि यह
लोहे की आवाज है या
मिट्टी में गिरे हुए खून
का रंग"
लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
उस घोड़े से पूछो
जिसके मुँह में लगाम है.
2 comments:
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
मिट्टी में गिरे हुए खून
का रंग"
लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
उस घोड़े से पूछो
जिसके मुँह में लगाम है.
haan maine bhi dhumil ji ki ye kavita padhi hai. ismain bahut gehrayi hai. ise sabko padhvane ke liye aabhaar.
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