हमेशा से ही दुनिया के उत्पाद को लेकर विवाद चला आ रहा है, हर धर्म में ब्रम्हाण्ड के सृजन कर्ता के रूप में अपने अपने इष्ट देव को माना जाता है....दुनिया के लगभग सभी धर्मो ने पृथ्वी का कर्ता किसी न किसी को स्वीकार किया है.....सिर्फ जैन धरम ने हमेशा से ही ब्रम्हाण्ड को अनादि-अनंत बताया है, जिसका सीधा सा मतलब है कि इस दुनिया को न किसी ने बनाया है और न ही कोई इसे मिटा सकता है.... दुनिया तो जीव, पुदगल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल इन ६ द्रव्यों से मिलकर बनी है... काफी समय से दुनिया के तमाम वैज्ञानिक इस बारे में रिसर्च कर रहे थे की दुनिया आखिर बनाई किसने है.... इसी सम्बन्ध में हाल ही में एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हॉकिंस ने स्वीकार किया है की ईश्वर ने सृष्टि का निर्माण नहीं किया है... बल्कि इस दुनिया का निर्माण स्वतः ही हुआ है... हम आपको पढ़ाते है उस वैज्ञानिक की लिखी किताब के कुछ अंश ......
सर्वश्रेष्ठ भौतिक वैज्ञानिकों में शुमार किए जाने वाले ब्रिटेन के स्टीफन हॉकिंस का कहना है कि ब्रह्माण्ड के निर्माण के सिद्धांतों में अब ईश्वर की कोई जगह नहीं है। हॉकिंस ने यह बात अपनी नई किताब में कही है, जिसके कुछ अंशों का हाल ही में प्रकाशन हुआ है।
अपनी प्रसिद्ध किताब ‘ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम’ में हॉकिन्स ने जिस तरह ब्रह्माण्ड के निर्माण में ईश्वर की भूमिका के प्रति सहृदयता दिखाई थी उससे अलग हटते हुए हॉकिन्स ने कहा है कि बिग बैंग ‘गुरुत्वाकर्षण के नियमों’ की अनिवार्य परिणति से ज्यादा कुछ नहीं है। हॉकिंस का कहना है कि गुरुत्वाकर्षण का नियम हमें यह बताता है कि ब्रह्माण्ड का निर्माण शून्य से भी हो सकता है और ऐसा होता भी है। उनका मानना है कि स्वत:स्फूर्त तरीके से निर्माण की परिघटना ही वह कारण है, जिसने इस दुनिया और हमारा आस्तित्व संभव बनाया है। अगर ऐसा नहीं होता तो कुछ भी नहीं होता। हॉकिंस ने इन मान्यताओं को अपनी नई किताब ‘द ग्रैंड डिजाइन’ में सामने रखा है। इस किताब का धारावाहिक के तौर पर लंदन के ‘द टाइम्स’ में प्रकाशन किया जा रहा है। हॉकिंस ने कहा कि इस सृष्टि के संचालन की व्याख्या करने के लिए ईश्वर का सहारा लेना कतई जरूरी नहीं है। हॉकिंस ने इससे पहले अपनी प्रसिद्ध किताब ‘ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम’ में यह राय प्रकट की थी कि दुनिया को वैज्ञानिक तरीके से समझने के लिए ईश्वर की अवधारणा पूर्णत: असंगत नहीं है। लेकिन अपनी इस नई किताब में अपनी पुरानी धारणा से आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा है कि न्यूटन के इस सिद्धांत को कि बेतरतीब अव्यवस्था से ब्रह्माण्ड का निर्माण नहीं हो सकता, आज पूरी तरह से सही नहीं जान पड़ती। अपने इस मत की पुष्टि के लिए हॉकिंस ने १९९२ में हुए उस खोज का हवाला दिया है, जिसमें हमारे सौरमंडल से बाहर एक तारे के चारों ओर घूमते ग्रह के बारे में पता चला था। हॉकिंस ने इस खोज को ब्रह्माण्ड की समझ में बदलाव लाने वाला क्रांतिकारी मोड़ बताया है।
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आज दिनांक 6 सितम्बर 2010 के दैनिक जनसत्ता में संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्तंभ में आपकी यह पोस्ट दुनिया बनाने वाले शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई। स्कैनबिम्ब देखने के लिए जनसत्ता पर क्लिक कर सकते हैं। कोई कठिनाई आने पर मुझसे संपर्क कर लें
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