हमारे ब्लॉग की ये १००वि पोस्ट है....सोचा कुछ खास प्रकाशित किया जाये...तब एक बड़ी ही ख़ूबसूरत कविता हाथ लगी...जो मेरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अग्रज मयंक सक्सेना द्वारा रचित है..जिसे उनकी प्रत्यक्ष स्वीकृति लिए वगैर छाप रहा हूँ...पर मैं जनता हूँ कि उनकी परोक्ष स्वीकृति मुझे प्राप्त है... अब तक हमने काफी कुछ अपने ब्लॉग में लिखा, प्रकाशित किया लेकिन इतना सब लिखने पर भी बहुत कुछ अब भी अनकहा, अलिखित है...कुछ ऐसा ही भाव बयाँ करती है ये रचना....मजा लीजिये....
"लिखने
और कुछ न लिखने
के बीच
फर्क सिर्फ
कह देने
और
न कह देने सा है
कुछ
जो सोचा गया
कभी
कहा नहीं गया
कुछ
जो मन में चला
कभी
लिखा नहीं गया
कुछ
सोच कर भी
अनकहा रहा
कुछ
जान कर भी
अलिखित है
आज तक...
(साभार गृहीत- www.taazahavaa.blogspot.com)
हमारा स्मारक : एक परिचय
श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं।
विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें।
हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015
2 comments:
उत्तम रचना.
१०० वीं पोस्ट की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
Bahut shandar
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