हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Wednesday, February 15, 2012

VIDVATT GOSTHI ON KRAMBHADHA PRAYAYA

1 comment:

Anonymous said...

चैतन्य के एक क्षण के पुरुषार्थ की उग्रतामें पांचो समवाय समाविष्ट है|
१.वस्तु पर यथार्थ दृष्टि हुई वह जो पुरुषार्थ द्वारा हुई वह पुरुषार्थ|
२.उस पुरुषार्थ द्वारा जो स्वभाव था वह पर्याय का प्रगट होना वह स्वभाव|
३.जिस समय वह पर्याय प्रगट हुई वह स्वकाल याने काल|
४.पुरुषार्थ द्वारा जिस पर्याय को प्रगट होना था वह हुई वह नियति| और
५.स्वभाव पर्याय प्रगट होने समय जो कर्म का आभाव हुआ वह कर्म |
- आत्मधर्म (गुजराती) वर्ष २, अंक १३