हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Thursday, April 1, 2010

स्मारक में गूंजी भगवान महावीर की गूंज

पंडित टोडरमल स्मारक भवन में रविवार को भगवान महावीर की जन्म जयंती बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाई गई, इस अवसर पर स्मारक के विद्यार्थियों ने प्राणी मात्र के प्रति दया और सदभावना की प्रेरणा के प्रतीक स्वरूप एक झांकी निकाली, जिसे स्मारक से प्रारंभ होकर पूरे शहर का भ्रमण करने वाले भव्य जलूस में शामिल किया गया।
वीर प्रभु के जयकारो से न केवल स्मारक भवन बल्कि पूरा जयपुर गूंज उठा,इस पावन प्रसंग पर स्मारक में दिन भर सत्य और अहिंसा के गीत गाये जाते रहे और रात्रि कालीन प्रवचन में भगवान् महावीर की शिक्षाओ पर विवेचन किया गया
इस पवित्र दिन पर स्मारक के छात्रो ने वर्धमान के संदेशो को जन जन तक पहुँचाया,साथ ही एक अनूठी पहल की जिसके तहत सभी शास्त्री विद्वानों ने अपने पुराने कपडे एकत्रित किये और उन्हें जरुरतमंदों और गरीब लोगो में वितरित किया.जँहा स्मारक के विधार्थियों ने जमकर समाजसेवा की वही दैनिक भास्कर समूह द्वारा "भगवान महावीर के सिद्धांतो की वर्तमान उपयोगिता" इस विषय पर आयोजित प्रतियोगता में बढ़ चढ़कर भाग लिया। जिसमे शास्त्री अंतिम वर्ष के छात्र अभिषेक जैन मढ़देवरा और अभिषेक जोगी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया.स्मारक के सभी विधार्थियों को इस उत्कृष्ठ कार्य के लिए पूरी ब्लाग टीम की ओर से हार्दिक बधाई !!!
"संतप्त मानस शांत हो ,जिनके गुणों के गान में
वे वर्धमान महान जिन विचरे हमारे ध्यान में" .

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