हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Thursday, April 8, 2010

छोटी-छोटी मगर मोटी बातें ३

१.कितना अभागा और अधुरा है वो इन्सान जिसने दर्द कों स्पर्श नही किया, कितनी शून्य है वे आँखें जो आंसुओं से नम नही हुई।
.किसी वस्तु की कीमत उसकी चमक से नही, उसके प्रति चाहत से तय होती है
.जिसे हम प्रेम करते हैं उसके प्रति अनिष्ट की शंका बनी रहती है
.जहाँ भी मूल्य के स्तर और समीक्षा के मापदंड का प्रयोग हो, समझिये वही दर्शन है
.सफलता और हमारे बीच की वास्तविक दूरी हमारी दृष्टि ही होती है

1.Beauty is power, a smile is it's swored.
2.Happiness is the interval between the periods of unhappiness.
3.Luck is what happens when preparations meats opportunity.
4.Good is not good when better is expected.
5.The will to prepare is more important than the will to win.

No comments: