हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Tuesday, June 1, 2010

दिया तले अँधेरा

इस खबर की हेडिंग आपको थोड़ी गंभीर लग सकती हैं पर बात इतनी ही हैं की जिस प्रकार राज्य सर्कार, केंद्र सर्कार के अंतर्गत काम करती हैं, उसी प्रकार किसी भी कंपनी की शाखाये भी headoffice से तालमेल बिठाकर रख आगे बडती हैं. पर देश भर में सर्व मान्य संस्था टोडरमल स्मारक में एक चीज़ की कमी हमेशा से थी और वह थी छोटे बालक-बालिकाओं के लिए पाठशाला का न होना.

पर इस कड़ी को तोड़ते हुए federation की जयपुर महानगर शाखा ने इस साल समर कैंप के नाम से बच्चों को इक्कठा कर उन्हें जैन संस्कार देने के साथ-साथ, चित्र कला, लेखन कला आदि की शिक्षाएं भी दी. इसी के साथ बच्चों को रोज़ कोई न कोई तरह का उपहार भी दिया गया. मात्र ५ बच्चों से शुरुआत कर शाखा ने ५० बच्चे इक्कठे किये और अपने इस अनूठे कार्य में सफल हुए.

इसमें सबसे महत्वपूर्ण कार्य रहा हैं- संजय जी शास्त्री- बड़ामल्हरा, गजेन्द्र जी शास्त्री और अनेक शाखा के सदस्यों का.

आप सब भी इस तरह के आईडिया से अपने एरिया में काम करे और बच्चों को धार्मिक संस्कारो के साथ और भी कला में निपुण कर उसको एक समर कैंप की तरह चला कर उन्हें आकर्षित करे. और ख़ुशी की बात यह हैं की अब हमारा केंद्र जयपुर भी इस काम में आगे हैं और निरंतर बढता रहेगा.

1 comment:

ANKUR JAIN said...

it sounds great....keep it up....
good job...