हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Monday, February 14, 2011

बेहतर है....

जिस तट पर प्यास बुझाने से , अपमान प्यास का होता हो ॥
उस तट पर प्यास बुझाने से , प्यासा मर जाना बेहतर है॥

जब आंधी नाव डूबा देने को
अपनी जिद पे अड़ जाये ,
हर एक लहर नागिन बन के
डसने को फन फैलाये ।

ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं,
पागल तुफानो को बढकर आवाज़ लगाना बेहतर है ॥

कांटे तो अपनी आदत के
अनुसार, नुकीले होते है
कुछ फूल मगर कांटो से भी,
जादा जहरीले होते है ॥

जिसको माली आँखे मीचे मधु के बदले विष से सींचे ॥
ऐसी डाली पे खिलने से पहले मुरझना बेहतर है ॥

जो दिया उजाला दे न सके
तम के चरणों का दास रहे
अंधियारी रातो में सोये
दिन में सूरज के पास रहे ।

जो केवल धुंआ उगलता हो, सूरज पे कालिख मलता हो ॥
ऐसे दीपक का जलने से पहले , बुझ जाना बेहतर है ॥

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