हमारा स्मारक : एक परिचय
श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं।
विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें।
हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015
Saturday, January 22, 2011
प्रवचनों की विशिष्ट श्रंखला
आज से अध्यात्म रत्नाकर पंडित रतनचंद जी भारिल्ल के प्रवचनों की विशिष्ट श्रंखला पंडित टोडरमल स्मारक भवन, जयपुर में प्रारंभ हो रही है। इसके अंतर्गतअहिंसा, शाकाहार, सुखी जीवन की कला, इन भावों का फल क्या होगा - आदि विषयों पर सरल प्रवचन होंगे। कृपया आप सभी पधारें। अपने मित्रों एवं परिजनों को भी लाभ लेने के लिए सूचित करें।
Friday, January 21, 2011
Wednesday, January 19, 2011
Tuesday, January 18, 2011
श्री सम्मेद शिखर पारसनाथ टोंक की झांकी
इस बार २६ जनवरी को दिल्ली में झारखण्ड सरकार की झांकी में श्री सम्मेद शिखर पारसनाथ टोंक की झांकी बन रही है। सभी को बताएं।
Friday, January 14, 2011
एक जान तो बची, उसे तो फर्क पड़ता है!!
मकर संक्रांति जयपुर वासियों ने बड़ी धूम-धाम से मनाई| मकर संक्रांति का त्यौहार जयपुर मे बड़ा महत्व रखता है, जिसमे बड़े-बूढ़े सब बड़-चड़कर भाग लेते हैं| शहर की चार दिवारी का माहौल देखते ही बनता है| बच्चे अपनी-अपनी पतंगे उड़ाते और पेच लड़ाते दिखते है और थोड़ी-थोड़ी देर में हर छत से वो काटा वो मारा की आवाज़ कानो में सुनाई देती रहती हैं| सड़क पर दौड़ रहे बच्चे उस दिन सबसे ज्यादा बिज़ी होते है, पतंग जो लूटना है| चाट, पकोड़ी, कचोड़ी, और चाय का भी लुत्फ़ भरपूर लिया जाता है| लाउड स्पीकर मे सारे लेटेस्ट गाने सुनाई देते है| कुछ लोग पूरे दिन हवा की दिशा निर्धारण करने मे लग जाते है| पतंग उड़ाने लायक हवा नहीं चले तो छत पर फ़ुटबाल, क्रिकेट का भी पूरा इंतज़ाम रहता है| इसी बीच कुछ सद्दे को मंझे मे बाँधने और उलझे धागे को सुलझाने के मैनेजमेंट मे भी लगे रहते है|
इन सबके बीच उस प्यारे, मासूम कबूतर का किसी को ध्यान नहीं रहता जो किसी बिल्डिंग के ऊपर वाली मंजिल के एक छोटे से कोने मे घायल हुआ बैठा है| उसे तो पता भी नहीं था की उसकी उड़ने की स्वतंत्रता मे एक तीखी धागे की डोर बाधा बनेगी जो उसकी गर्दन पर गहरा घाव छोड़ जाएगी जिसके बाद वह अपने बच्चो से शायद ही कभी मिल पाए, वह तो अपने बच्चो को दाना लाने के लिए चला था| यह चित्र तो ऐसा है जैसे बीच सड़क पर किसी आदमी का एक्सिडेंट हो गया हो, उसकी गर्दन से खून बह रहा हो और शहर के सारे लोग बिना ध्यान दिए अपनी मस्ती मे चले जा रहे हो| अनजान आदमी के बारे मे भी ऐसा सोचते ही हमारी रूह काँप जाती है, पर जब पक्षिओं की बात आती है तो हम कितने निर्दयी हो जाते हैं| हमे उस निर्दोष कबूतर की जान जान नहीं लगती पर आदमी की जान जान लगती है|
संक्रांति से पहले शहर के विब्भिन एनजीओ ने पतंग न उड़ाने की शहर वासिओ से अपील की| इस पर कुछ लोगों का सोचना होगा की एक दिन मे क्या फर्क पड़ता है? क्या हम त्यौहार भी न मनाये? उनका सोचना चाहिए की इसी एक दिन से सारा फर्क पड़ता है जब पक्षिओं के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन करना पड़ता है| त्यौहार खुशिया लाता है पर ऐसा त्यौहार किस काम का जो हज़ारों मासूमो की जान ले ले| यह दिन तो शोक के दिन मे परिवर्तित हो रहा है| किसी आतंकवादी हमले मे २०० लोग मरते है तो देश भर मे खलबली मच जाती है| पक्षियों के समुदाय मे इससे बड़ा हमला कभी नहीं हुआ होगा जब लाशो के अम्बार लग जाए| पर वे तो मूक है ना, अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते| लोग माने या ना माने पर इन एनजीओ ने उनको आवाज़ दी है और उनके कार्यों से यदि एक जान भी बचती है तो सभी एनजीओ का कार्य सफल है| - सर्वज्ञ भारिल्ल
Wednesday, January 5, 2011
विधानाचार्य प्रशिक्षण शिविर 8.1.2011 to 14.1.2011
विधानाचार्य प्रशिक्षण शिविर 8.1.2011 to 14.1.२०११
श्री टोडरमल स्मारक भवन मै 8.1.2011 to 14.1.२०११ से विधानाचार्य प्रशिक्षण शिविर आरभ होने बाला है आप जो भी इस शिविर मै भाग लेना चाहते है वे इन नंबर पर सम्पर्क करे -
0141-2705581 & 9785643202
इस शिविर मै लोकप्रिय प्रवचनकार डॉ. हुकमचंद जी भारिल्ल ब्र. अभिनन्दन कुमार जी, पं. रमेशचंद जी ,पं. शांति जी पाटिल ,पं. राकेश जी नागपुर ,पं. संजय जी मंगलायतन ,द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा |
संपूरण शिविर की योजना पं. देवेन्द्र जी विजोलिया एवं पं. पीयूष जी जयपुर करेगे |
श्री टोडरमल स्मारक भवन मै 8.1.2011 to 14.1.२०११ से विधानाचार्य प्रशिक्षण शिविर आरभ होने बाला है आप जो भी इस शिविर मै भाग लेना चाहते है वे इन नंबर पर सम्पर्क करे -
0141-2705581 & 9785643202
इस शिविर मै लोकप्रिय प्रवचनकार डॉ. हुकमचंद जी भारिल्ल ब्र. अभिनन्दन कुमार जी, पं. रमेशचंद जी ,पं. शांति जी पाटिल ,पं. राकेश जी नागपुर ,पं. संजय जी मंगलायतन ,द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा |
संपूरण शिविर की योजना पं. देवेन्द्र जी विजोलिया एवं पं. पीयूष जी जयपुर करेगे |
Tuesday, January 4, 2011
गया और नया साल
हो कल की जैसे बात,
या कि नींद भरी रात,
किसी अपने की बारात,
बिना लड़े कोई मात।
शायद ऐसे गया, गया साल।।
आये नींद सुनकर गीत,
किसी बेदर्दी की प्रीत,
या कि चुटकी का संगीत,
वर्तमान सा अतीत।
शायद ऐसा ही था वो गया साल।।
चाहे जैसा भी था वो गया साल,
इस बात का किसे है मलाल,
वक़्त आया बनके फिर से द्वारपाल,
आओ सोचें कैसा होगा नया साल?
ज़रा करके देखें खुद से ये सवाल।।
जैसे शादी का हो पत्र,
मिले वर्षों बाद मित्र,
या पुराना कोई इत्र,
कोई ख़बर हो विचित्र।
शायद ऐसा लगे वो नया साल।।
जैसे ग़ज़ल इक हसीन,
कोई सफ़र बेहतरीन,
जैसे दर्द हो महीन,
जैसे साफ हो ज़मीन।
शायद ऐसा लगे वो नया साल।
जैसे घुँघेरू वाली पायल,
या हो जाये कोई क़ायल,
जैसे शेरनी हो घायल,
या कि 'मम्मी जी' का आँचल।
शायद ऐसा लगे वो नया साल।।
जैसे कामगार का पसीना,
बिन श्रृंगार के हसीना,
कोई चुटकुला कमीना,
या फिर मार्च का महीना।
शायद ऐसा लगे वो नया साल।।
जैसे साफ-स्वच्छ दर्पण,
या धुला हुआ बर्तन,
पतिव्रता का समर्पण,
या व्यक्तित्व का आकर्षण।
शायद ऐसा हो वो नया साल।
ये सब थे मान्यवर, मेरे ही उद्गार।
कैसा हो नव वर्ष ये, आप ही करें विचार।।
आप ही करें विचार हमें बस इतना कहना।
नया साल मंगलमय हो, प्रतिदिन और रैना।।
साभार गृहीत- cavssanchar.blogspot.com
Saturday, January 1, 2011
'माँ का प्रेम '
वो एहसास अपना सा
निर्भीक निस्वार्थ प्रेम
संवेदनाये ,संचेतानाओ से भरा
अद्भुत अनुपम प्रेम
समर्पण से भरा
हमारी खुशियों की दुआओं से भरा
जिसमे वांछा कांक्षा कुछ भी नहीं
बस है तो प्रेम प्रेम और प्रेम
प्रेम की सीमा और सरहदों से पार
वो अनुपम प्रेम
मेरी ख़ुशी सफलता के लिए
समर्पित वो प्रेम मात्र
उस आँचल के अन्दर है
जो हमेशा हर वक़्त
हर क्षण हमारी खुसी के सपने
संजोती है,प्रार्थनाये करती है
येसे उस प्रेम का एहसास मात्र
...
मात्र माँ के प्रेम मैं ही
संभव है !!!!!
अभिषेक जैन
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