अनायास ही
कुछ अतीत की यादें गलबाहियां कर रही हैं...और मैं अपने मौजूदा दौर से निकल
के बहुत पीछे उन दिनों में जा रहा हूँ..जहाँ बेफिक्री का आलम हुआ करता था..मेरे
दोस्त थे, गुलाबी
नगर था और थी कुछ छोटी-मोटी नोंक-झोंक...और
यकीन मानों वे नादानियों की नोंक-झोंक आज
के इस समझदारी पूर्ण जीवन के
तनावों से कई बेहतर थी और कई खुशनुमा
भी...पीटीएसटी बैच नं 26 तुम सबकी
बहुत याद आ रही है यार..यही वजह है कि
कुछ और
काम में दिल नही लग पा रहा है..इसलिये चाहता हूँ कि अपने शब्दों और
धुंधली पड़ चुकी यादों के ज़रिये उन लम्हों में घूम के आया जाय...दोस्तों
अपने इस ग्रुप में लफ्जों के जरिये उन्हीं लम्हों की सैर पे निकल
रहा हूँ..आप सबभी जुड़ते जाये,
कारवाँ बनता चला जायेगा....
(ये हमसब का व्यक्तिगत विवरण है..यूं तो इसकी टारगेट ऑडियंस
सिर्फ हमारी क्लॉस के ही चुनिंदा शख्स हैं क्योंकि उन्हें ही मैं विशदता से जानता
हूं और उनसे जुड़ी यादों को ही शेयर कर सकता हूँ फिर भी, कुछ और लोग भी इस संस्मरण
से खुद को जुड़ा पा सकते हैं ये आपके area of interest
पे निर्भर करता है।)
तो पेश है Pinkish Days in Pink-city की खास पेशकश-
जारी..........
तो पेश है Pinkish Days in Pink-city की खास पेशकश-
जारी..........
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