हमारा स्मारक : एक परिचय

श्री टोडरमल जैन सिद्धांत महाविद्यालय जैन धर्म के महान पंडित टोडरमल जी की स्मृति में संचालित एक प्रसिद्द जैन महाविद्यालय है। जिसकी स्थापना वर्ष-१९७७ में गुरुदेव श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा और सेठ पूरनचंदजी के अथक प्रयासों से राजस्थान की राजधानी एवं टोडरमल जी की कर्मस्थली जयपुर में हुई थी। अब तक यहाँ से 36 बैच (लगभग 850 विद्यार्थी) अध्ययन करके निकल चुके हैं। यहाँ जैनदर्शन के अध्यापन के साथ-साथ स्नातक पर्यंत लौकिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। आज हमारा ये विद्यालय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैन दर्शन के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। हमारे स्मारक के विद्यार्थी आज बड़े-बड़े शासकीय एवं गैर-शासकीय पदों पर विराजमान हैं...और वहां रहकर भी तत्वप्रचार के कार्य में निरंतर संलग्न हैं। विशेष जानकारी के लिए एक बार अवश्य टोडरमल स्मारक का दौरा करें। हमारा पता- पंडित टोडरमल स्मारक भवन, a-4 बापूनगर, जयपुर (राज.) 302015

Thursday, December 17, 2009

आ.कुन्दकुन्द का समयसार गूंज रहा है स्मारक में .....


                         पंडित टोडरमल स्मारक भवन इन दिनों समयसर सप्ताह चल रहा है जिसके कारण पूरा स्मारक समयसार मय नजर आ रहा है ..समयसर सप्ताह के अंतर्गत  वहा होने वाले सभी प्रवचन और कक्षाओ में समयसार का ही स्वाध्याय किया जा रहा है .विद्यार्थी और सधर्मी जनों में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है चारो और समयसार की आध्यात्मिक चर्चाये के साथ गाथाये भी गुनगुनाई जा रही है...
                                                                         ज्ञातव्य है की समयसार ग्रन्थ आ. कुंद -कुंद देव द्वारा रचित पञ्च परमागामो में से एक आध्यात्मिक ग्रन्थ है. समयसार का अर्थ सभी विकारी भावो (द्रव्य  कर्म ,भाव कर्म और नो कर्म) से रहित "शुद्धात्मा"है .और ऐसे शुद्धात्मा स्वरूपी जगत के सभी जीव है बस हमें उस शुद्ध आत्मा को अनुभव करना है उसे पर्याय में प्रकट करना है ....इन्ही बातो को प्रवचन और कक्षाओ के माँ माध्यम से विशेष चर्चा करके समझया जा रहा है. प्रात:कालीन प्रवचन पं .रतनचंद जी भारिल्ल और रात्रि कालीन प्रवचन  पं .शांति कुमार  जी पाटिल द्वारा किये जा रहे है तथा कक्षाए विशिष्ट विद्वानों द्वारा ली जा रही है हर तरफ बस ग्रंथादिराज समयसार के गुण गए जा रहे है .                                                                                                                                       डॉ. भारिल्ल की ये पंकित्या याद आती है .......पाया था उनने समयसार ,दे गये हमें वे समयसार
                                                                       हम समयसार तुम समयसार सम्पूर्ण आत्मा समयसार
                                                                         मै हु स्वभाव से समयसार पर नति हो जावे समयसार
                                                                           है यही चाह है यही राह जीवन हो जावे समयसार .....

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